राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पहली बार 2008 में भारत सरकार द्वारा मनाया गया। इसका उद्देश्य देश में शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना और इस क्षेत्र में किए गए कार्यों को प्रोत्साहित करना था।
मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवंबर को हुआ था। वे स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे और उनके प्रयासों से भारतीय शिक्षा प्रणाली को नई दिशा मिली।
मौलाना आज़ाद ने शिक्षा के क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण सुधार किए, जैसे कि IITs की स्थापना, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) का गठन, और प्राथमिक शिक्षा को मजबूत बनाना।
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का उद्देश्य समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना और हर वर्ग को शिक्षा का लाभ पहुँचाना है।
2009 में भारत सरकार ने शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम लागू किया, जो 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देता है।
इस दिन पर कई स्कूल, कॉलेज और सरकारी संस्थानों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनमें शिक्षा संगोष्ठियाँ, निबंध प्रतियोगिता, और शिक्षकों द्वारा व्याख्यान शामिल होते हैं।
आधुनिक युग में डिजिटल तकनीक ने शिक्षा को आसान और सुलभ बना दिया है। ऑनलाइन शिक्षा, स्मार्ट क्लासरूम, और ई-लर्निंग प्लेटफार्म्स से शिक्षा का विस्तार हुआ है,
शिक्षा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाती है और उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करती है।
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर महिलाओं को शिक्षा देने के प्रयासों को बल दिया जाता है, जिससे समाज में समानता और प्रगति हो सके।